उर्मिला ताई यानी नारी शक्ति का गौरव
नयना सहस्रबुद्धे:
पचहत्तर की उमर, पच्चीस का उत्साह और समाज परिवर्तन, नारी परिवर्तन की उमंग जिनके मन में सदा जीती जागती है, अथक कार्य जिनके जीवन का आधार ही नहीं, परंतु जीवन व्यवहार है, ऐसी उर्मिला आप्टे यानी निर्मला ताई को हाल ही में राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। निर्मला ताई के लिए पुरस्कार बड़े मायने नहीं रखते। केंद्रीय महिला और बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा दिया जाने वाला ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ महिला सशक्तिकरण के लिए दिया जाता है। ये पुरस्कार निर्मला ताई के 30 साल के कार्य का, राष्ट्रीय विचारधारा पर आधारित खड़े किए गए महिला संगठन का, ‘फेमिनिज्म’ की विचारधारा में उपस्थित किए ‘भारतीय मूलाधार पर आधुनिक चिंतन का गौरव है। इसलिए महत्वपूर्ण है।
‘महाड’ महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के एक गांव से निर्मला ताई का जीवन आरंभ हुआ। ‘धारप’ कुलनाम में शिक्षित सुसंस्कारित परिवार में जन्म हुआ। राष्ट्रीय विचारधारा के संस्कार घर से ही मिले। कॉलेज की पढ़ाई के लिए मुंबई आयी। 1960 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम करना शुरू किया, वह इनके सामाजिक कार्य और जीवन का प्रारंभ था। गणित विषय में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की। कुछ वर्ष मुंबई के महाविद्यालयों में गणित का अध्यापन भी किया। निर्मला ताई मेधावी छात्रा रही। गणित विषय के लिए आवश्यक विश्लेषणात्मक स्वभाव की धनी हैं। अपनी क्षमता और परिश्रम से सामाजिक पुर्ननिर्माण के कार्य में 1960 से जुड़ी है। डॉक्टर बाला साहब आप्टे के साथ विवाह के बाद भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ नाता जुड़ा रहा। प्रारंभिक पारिवारिक जिम्मेदारियों और बेटी जाह्नवी की परवरिश के बाद फिर से सामाजिक कार्य में जुटने की सोचा। 21 महीने (1975-77) के आपातकाल ने आपके परिवार को भी नहीं छोड़ा। आपके समत्व ने उस स्थिति में भी घर परिवार संभाला था।
महिला विमर्श के लिए 1975 बहुत ही महत्वपूर्ण वर्ष रहा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसी वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता दी और 1975-85 के दशक को महिला दशक घोषित किया। इस दौर में विश्व भर में महिलाओं की स्थिति, अधिकार की चर्चा होने लगी। परंतु यह विमर्श महिला सशक्तिकरण की बजाय पुरुष विरोधी हो रहा था। महिलाओं को संघटित करने का नारा दे रहा था। समान अधिकारों की गूंज में संस्कृति और प्रतीकों को नकारा जा रहा था। ऐसे माहौल में सही और गलत की सोच में ऐसा विचार हुआ कि भारतीय संस्कृति, परिवार व्यवस्था और सोच के परिवेश में स्त्री-पुरुष समानता, नारी अधिकारों का विचार करने वाला नारी संगठन हो। जिसमें समानता और संतुलन, अधिकार और जिम्मेदारी, परिवार विचार और व्यवस्था में सुधार, पुरुष विरोध के बजाए सहयोग का अनुभव हो। सकारात्मकता और संवेदनशीलता उसका आधार बने। फिर शुरू हुआ समविचारी महिला और विचार परिवार के लोगों का मंथन और 1988 में भारतीय स्त्री शक्ति की स्थापना हुई। उससे पूर्व दो-तीन वर्षों से विचार और छोटे कार्यक्रमों का प्रारंभ हुआ था। फेमिनिज्म को परिवार व्यवस्था के आधार पर ह्युमनिज्म की तरफ लेकर जाने वाला ‘स्त्रीवाद’ को ‘मानवतावाद’ में बदलने की सोच रखने वाला संगठन भारतीय स्त्री शक्ति ने 30 वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारतीय स्त्री शक्ति एक ऐसा संगठन है-
- परिवार को बुनियादी ढांचा मानकर चलने वाला, पुरुष केंद्रीय परिवार व्यवस्था लोकतांत्रिक बनाने की, नारी के अधिकारों का संरक्षण करने वाली परिवार व्यवस्था का निर्माण करने वाला संगठन।
- नारी शक्ति की पुर्नर्स्थापना करने वाला संगठन, नारी शक्ति की अभिव्यक्ति पुरुष की तुलना में, पुरुष मानदंडों से नहीं की जा सकती। नारी के पास सृजन की शक्ति है। उसका उचित सम्मान भी हो और वह उसकी मर्यादा (limitation) ना बने, ऐसा मानने वाला संगठन।
- भारत में महिला स्थिति में सुधार लाने के प्रयास समाज सुधारक पुरुषों ने भी किए हैं, उनका योगदान मानने वाला, उन्हें सम्मान देने वाला संगठन।
- परिवार समाज की छोटी और मूलभूत इकाई है। उसमें नारी का सम्मान, अधिकारों की रक्षा, विकास के अवसर, सुरक्षित वातावरण हो तो नारी सशक्तिकरण विकास की अवधारणा बनी रहेगी। स्त्री पुरुष के बीच संवेदना, सहवेदना, सहकार्य के बिना यह नहीं हो सकता। इसलिए स्त्री विरुद्ध पुरष नहीं, परंतु साथ चलने वाला संगठन, स्त्री संगठन यानी स्त्रियों का, स्त्रियों के लिए, स्त्रियों द्वारा चलाया गया संगठन नहीं है।
- भारतीय स्त्री शक्ति में पुरूष भी सहकारी सदस्य बन सकते हैं और कार्य में तो जुट ही सकते हैं।
- राष्ट्रीय विचारधारा मानने वाला संगठन, राष्ट्र सर्वोपरि, राष्ट्रहित से व्यक्ति हित बड़ा नहीं है, इसलिए पुरस्कार-प्रसिद्धि से दूर रहकर भी 30 वर्ष नारी परिवर्तन-परिवार परिवर्तन करने वाला, ग्रामीण से ग्लोबल विश्व का जायजा लेने वाला संगठन।
- ‘नारी’ नागरिक भी है, उसकी क्षमताओं का उपयोग और योगदान परिवार-समाज-राष्ट्र के लिए होना चाहिए, अवसर मिलने चाहिए, ऐसा मानने वाला संगठन।
- नारी यानी दासी भी नहीं, देवता भी नहीं, वह मानवी है- यह मानकर चलने वाला संगठन। हर व्यक्ति में नारी तत्व और पुरुष तत्व दोनों मौजूद होते हैं, उसे वर्गीकृत करके बेड़ियां डालने के बजाय जेंडर संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम करने वाला संगठन। जब वैश्विक परिवेश में जेंडर संवेदनशीलता, जेंडर न्याय यह शब्द भी नहीं आए थे, तब शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्वतंत्रता, समानता और आत्मसम्मान यह पंचसूत्री लेकर काम कर काम खड़ा करने वाला संगठन।
- ‘जेंडर’ नकारना यानी ‘पुरुषीकरण’ इस रूढ़ कल्पना को छोड़ देने वाला, स्त्री पुरुषों के शारीरिक विशेषताओं का सम्मान और साथ-साथ पुरुष प्रधान पद्धति ने स्त्रियों के प्रति पैदा किया दोयमता का भाव, भेदभाव, अन्याय, अत्याचार, असमान अवसर जो महिलाओं का- महिला संबंधी वह दोयम महत्व नहीं, इस दोहरेपन के विरुद्ध काम करने वाला संगठन, इन मूल्यों को परिवार में स्थापित करने वाला संगठन।
- स्त्री पुरुष समानता के साथ ‘स्त्री-स्त्री समानता’ का आग्रह रखने वाला संगठन। सत्ता संबंधों के बीच (सास-बहू) या आर्थिक संबंधों के बीच भी इस सूत्र का विचार करना आवश्यक है। ‘मेरे अधिकारों की रक्षा’ के साथ किसी का अन्याय ना हो, यह जिम्मेदारी भी मानने वाला. संतुलन रखने वाला संगठन।
भारतीय संस्कृति को मूलाधार मानकर ‘भारतीय स्त्रीवाद’ को प्रस्थापित करने वाला संगठन, पश्चिमी विचारधारा की ध्वजा लेकर चलने वाला संस्कृति रक्षण, ‘नैतिकता को मोरल पुलिसिंग’ ऐसा उपहास और उपमर्द करने वाले माहौल में, 10 राज्यों में, 33 शाखाएं, सरोगेसी, महिला नीति, महिलाओं को समान कानून, जेंडर बजटिंग, जेंडर स्मार्ट सिटी, सौंदर्य प्रतियोगिताओं का विरोध, अन्याय-अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष, अधिकारों के लिए न्यायिक लड़ाई लड़ने वाला संगठन खड़ा करने में निर्मला ताई के अथक प्रयास है। गत 30 वर्षों में भारतीय स्त्री शक्ति निर्मला ताई ने समय-क्षमताओं का योगदान तो दिया ही है, साथ ही कई क्षमतावान लोगों को जोड़ा। कार्य व्यक्ति केंद्रित ना रहे इसके लिए कार्य पद्धति विकसित किया। नए प्रश्नों का सामना नई सोच से किया। नए कार्यकर्ता तैयार किए। उन्हें प्रेरित प्रोत्साहित किया। आज भी सबके लिए प्रेरक मार्गदर्शक बनी हुई हैं। अभिनंदन।
(लेखिका भारतीय स्त्री शक्ति की वाइस प्रेसीडेंट हैं। सामाजिक क्षेत्र में इनकी बड़ी ख्याति है)
Khup abhyadpurna
Uttam
Very nicely narrated about bharatiya stree shakti and smt urmilaji many many thanks Nayana