नए भारत के युवा नेतृत्व की तैयारी
रवि पोखरना:
आशाओं और आकांक्षाओं से भरा युवा भारत अब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आकार के हिसाब से विश्व का छठा बड़ा देश बन चुका है। विश्व की जीडीपी में एक समय करीब तीस प्रतिशत योगदान देने वाला भारत आक्रांताओं की ग़ुलामी से निकल कर जब वापस अपने सम्मान और विश्व में अपने स्थान को प्राप्त करने की ओर बढ़ रहा हैं तो देशवासियों का मनोबल और उत्साह बढ़ना स्वाभाविक ही है। देश में विश्वसनीय नेतृत्व और बढ़ते अवसरों ने जहां युवाओं को हौसला दिया है तो वहीं तेज़ी से बदलती टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के प्रभाव ने उड़ानों को पंख। परंतु देश आज भी अपनी पुश्तैनी समस्याओं से जूझ रहा है। कुपोषण की समस्या जहां आज भी देश के 70 साल की आज़ादी के मायनों पर सवाल उठाती है, वहीं भ्रष्टाचार और गंदगी की समस्याएं देश के विकास में रोड़ा बनी हुई हैं। एक तरफ जहां हमारा समाज आज भी सम्प्रदायवाद और जातिवाद से ग्रसित है तो वही दूसरी तरफ विश्व भर को चुनौती दे रहा आतंकवाद भारत की भी एक विशाल समस्या बना हुआ है।
रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी ने पिछले वर्ष राजनीति में आने वाले युवाओं के प्रशिक्षण के लिए ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप’ केंद्र द्वारा एक वर्षीय ‘पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन लीडरशिप पोलिटिक्स एंड गवर्नेंस’ शुरू किया है। ताकि युवाओं को खुद को राजनीति में निखारने का एक नया मौका मिल सके।
ऐसे परिप्रेक्ष्य में जहां आज का युवा विकास की दिशा से आश्वस्त है वही परिवर्तन की गति से बेचैन भी। वैश्वीकरण के पश्चात देश में मुक्त बाज़ार युग में जन्मा युवा जो आज रोज़गार में है या स्वयं के व्यवसाय में, पर टेक्नोलॉजी एवं सोशल मीडिया के ज़रिए पूरे विश्व से जुड़ा हुआ है, परन्तु दशकों से विकास की उपेक्षा से उत्पन्न देश की आज की स्थिति को देखकर बेचैन और उत्तेजित है। देश में बदलाव और विकास की प्रक्रिया में अब युवा स्वयं शामिल होना चाहता है। 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से लेकर MyGov और स्वच्छता जैसी सरकार की पहल में युवाओं की बढ़ती भूमिका इस बात का सूचक है कि आज का युवा देश के विकास में अपनी भागीदारी को लेकर न सिर्फ़ सजग है बल्कि उसमें वह अपने लिए करियर के विकल्प भी ढूंढ रहा है।
नीति और शोध में रुचि रखने वाले युवा जहां नीति आयोग और MyGov जैसे संस्थानो में अपने लिए अवसर तलाश रहे हैं वहीं राजनीति में रुचि रखने वाले युवा अपने आप को चुनावी रण के लिए तैयार कर रहे हैं। परंतु पॉलिसी के क्षेत्र में जाने वाले युवाओं के लिए जहां औपचारिक पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण देने वाले कई संस्थान उपलब्ध हैं लेकिन राजनीति में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए अब तक ऐसा कोई उपयुक्त सफल प्रयास नहीं हुआ था। समूचे दक्षिण एशिया में राजनेताओं के प्रशिक्षण के लिए बना अपनी तरह के एकमात्र संस्थान रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी ने गत वर्ष राजनीति में आने वाले युवाओं के प्रशिक्षण के लिए ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप’ केंद्र द्वारा एक वर्षीय ‘पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन लीडरशिप पोलिटिक्स एंड गवर्नेंस’ शुरू किया जिससे कि युवाओं को अपने आपको राजनीति में निखारने का एक नया मौका मिल सके।
राजनीति में आने की इच्छा रखने वाले युवाओं के प्रशिक्षण के लिए अपनी तरह का यह पहला प्रयोग है और यही कारण था कि यह पूरे वर्ष चर्चा का विषय बना रहा। अगर डॉक्टर, इंजीनियर और चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के लिए पढ़ाई की सीढ़ी से गुजरना पड़ता है तो जो लोग 125 करोड़ के देश को चलाने वाले है, उनके सपनों से जुड़े फ़ैसले लेने वाले है, नीति निर्धारण करने वाले है, कोई स्कूल या कोर्स उनके लिए अब तक क्यों नहीं था। कोर्स के उद्घाटन के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसके माध्यम से अच्छे और कर्तव्यनिष्ठ युवाओं से राजनीति में आने का आह्वान किया था क्योंकि अगर वे नहीं आएंगे तो बुरे लोग उनकी जगह ले लेंगे क्योंकि राजनीति में कभी वैक्यूम नहीं रह सकता। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि ‘हम विचारधारा से ऊपर उठे है। हमारा लक्ष्य अच्छे और नेकनीयत नेता के निर्माण में मदद करना है।’ पूर्व में भी प्रबोधिनी अपने कार्यक्रम ‘नेतृत्व साधना’ के जरिए कांग्रेस, शिवसेना, राकांपा और मनसे के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर चुकी है।
यह कोर्स अपने दूसरे वर्ष में पहुंच चुका है। इस वर्ष 10 राज्यों के 25 प्रतिभागी प्रबोधिनी के भायंदर (मुंबई) स्थित संकुल में रह कर इस कोर्स के माध्यम से राजनीति का प्रशिक्षण ले रहे हैं। जहां पिछले बैच के कुछ प्रतिभागी अभी छत्तीसगढ़ की चुनावी तैयारी में सक्रिय है तो वहीं कुछ प्रतिभागी राजनैतिक पार्टियों से जुड़ गए हैं। योजना चाहे चुनाव लड़ने की हो या पार्टी में रह कर संगठन का काम करने का, यह नौजवान देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत, जन सेवा के लक्ष्य से राजनीति में काम करने का मन रखते है। वर्तमान बैच की एक प्रतिभागी डॉ. आरती त्रिपाठी बताती है कि उनके लिए राष्ट्र प्रेम का मूल्य सर्वोच्च है, अगर वे ऐसा नहीं मानती तो अपने पति और दस वर्षीय पुत्र को भोपाल में छोड़ कर मुंबई में 9 महीने का कोर्स करने कभी नहीं आती।
विश्वास है कि नए भारत के ये युवा नेता अपने कर्तत्वों से अपना और अपने देश का गौरव बढ़ाएंगे।
(लेखक रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी के एडमिनिस्ट्रेशन और प्रोजेक्ट्स के एग्जीक्यूटिव हेड हैं)
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