सरकारी स्कूल में पढ़े IPS ने शामली में शानदार पुलिसिंग के साथ प्राइमरी स्कूल का किया कायापलट
शामली जिले के कप्तान अजय कुमार ने पुलिसिंग के साथ-साथ एक बड़ा जिम्मा उठा रखा है। ये जिम्मा देश का भविष्य गढ़ने का है। अजय कुमार की पहल से महज दो महीने में जिले के एक प्राइमरी स्कूल का कायापलट हो गया है।
शामली जिले में कप्तान के कार्यालय से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर स्थित शिव विहार का प्राइमरी पाठशाला नंबर 13 अब निजी स्कूलों को टक्कर दे रहा है। महज दो महीने में शामली जिले के पुलिस कप्तान अजय कुमार की पहल से अब ये प्राइमरी स्कूल जिले के लिए एक आदर्श स्कूल बन चुका है। इससे पहले बरेली पीएसी में तैनाती के दौरान अजय कुमार कैंपस में ही मौजूद 12वीं तक के स्कूल को सुधारने में अहम भूमिका निभाई। फिरोजाबाद में बतौर पुलिस कप्तान तैनाती के दौरान एक जूनियर हाई स्कूल को गोद लिया था।
सरकारी स्कूलों से इस प्रेम की वजह है कि अजय कुमार ने खुद सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है। बस्ती जिले के नगर थाना क्षेत्र के देवापार गांव की प्राइमरी पाठशाला में टाट पट्टी पर बैठकर शुरुआती पढ़ाई की है। लकड़ी की तख्ती लेकर स्कूल जाते थे। ऐसे ही सरकारी स्कूलों में पढ़ते हुए इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। विदेश में नौकरी की। लेकिन मन नहीं रमा तो देश आकर सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में आईपीएस चुने गए। अफसर बने। देश और समाज के लिए कुछ करने का मौका मिला। पुलिसिंग में नए-नए कामयाब प्रयोग किए। लेकिन बचपन में सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी की कसक हमेशा मन में बनी रही। पुलिस की नौकरी के दौरान जब जब मौका मिलता है तो इस कसक को दूर करने की हरसंभव कोशिश करते हैं।
अजय कुमार की इन्हीं कोशिशों का मूर्त रूप शामली जिले की प्राइमरी पाठशाला नंबर 13 है। एसपी दफ्तर से मात्र 100 मीटर की दूरी पर मौजूद इस स्कूल का सिर्फ दो महीने में ही कायापलट हो चुका है। पिछले साल अजय कुमार को शामली जिले की कमान मिली। दिसंबर 2018 के आखिरी दिनों में पूरी दुनिया में नए साल के स्वागत और जश्न की तैयारियां चल रही थीं। सोशल मीडिया पर नए साल के जश्न से लेकर रिजोलुशन तक के भांति-भांति के मैसेज धड़ाधड़ शेयर हो रहे थे। सूचना क्रांति के वाहक इन बेलगाम संदेशों में कुछ अच्छी थी तो कुछ बुरी। इन्हीं मैसेज ने अजय कुमार को नए साल में किसी सरकारी स्कूल को गोद लेने का का रिजालुशन लेने की प्रेरणा दी। स्कूल की तलाश सिर्फ एसएसपी दफ्तर से 100 मीटर की दूरी पर पूरी हो गई। अब रिजोलुशन ले लिया गया था। स्कूल भी मिल गया। बस स्कूल प्रिंसिपल और बीएसए की मंजूरी बाकी थी। 2 जनवरी को स्कूल में प्रधानाचार्य के साथ बीएसए की मौजूदगी में अजय कुमार ने स्कूल गोंद लिया।
जब अजय कुमार ने स्कूल गोद लिया तो स्कूल की दशा बहुत ही खराब थी। फर्श टूटा हुआ था। दीवारों पर रंगरोगन नहीं थी। छत टपक रही थी। किचन की दशा बहुत अच्छी नहीं थी। टायलेट सही हालत में नहीं था। अजय कुमार इस पहल में मदद के लिए सात स्थानीय कारोबारी साथ आए। महज दो महीनों के कम समय में ही मदद चमक गया। छत और फर्श की मरम्मत हुई। दीवारों का रंगरोगन हो गया। इन पर निजी स्कूलों की तर्ज पर पेंटिंग की गई। नया टॉयलेट बन गया। किचन की दशा भी सुधर गई। पानी पीने की व्यवस्था में सुधार हुआ। प्रिंसिपल का दफ्तर भी चमक गया है। टाट पट्टी की जगह फर्नीचर ने ले ली। स्कूल का सौन्दर्यीकरण भी कराया गया। 100 से ज्यादा गमलों में फूल लगाए गए हैं।
अजय कुमार हर शनिवार इस स्कूल में जाते हैं। बच्चों के साथ वक्त बिताते हैं। उनसे बातचीत करते हैं। उन्हें संस्कारों की शिक्षा देते हैं। स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हैं। स्कूल के कायापलट की खुशी अजय कुमार के चेहरे पर झलकती है। बदलता इंडिया से बातचीत में उत्साह से भरे अजय कुमार कहते हैं, “सरकारी स्कूलों में प्रतिभा की कमी नहीं है। बस जरूरत हैं कि उन्हें बेहतर माहौल दिया जाए। इस स्कूल में दूसरी क्लास का एक बच्चा 21 तक का पहाड़ा फर्राटे से सुनाता है। सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि आम पब्लिक की भी जिम्मेदारी है ऐसे प्रतिभाओं को बेहतर माहौल मिले।”
अजय कुमार की पहल का असर अब स्कूल में दिखने लगा है। स्कूल में करीब 108 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। स्कूल का माहौल बदला तो अब उपस्थित शत-प्रतिशत रहने लगी है। अजय कुमार उम्मीद जताते हैं कि आने वाले सत्र में स्कूल में ज्यादा से ज्यादा बच्चे दाखिला लेंगे। बदलता इंडिया अजय कुमार और उनके जैसे रियल लाइफ हीरो की ऐसी पहल का अभिनंदन करता है।