कानूनी मदद के लिए हमेशा तैयार दिल्ली विधिक सेवाएं प्राधिकरण के 1200 वकील
दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के मेंबर सेक्रेटरी संजीव जैन से बदलता इंडिया की संपादक संध्या की खास बातचीत
(ये इंटरव्यू 9 मार्च को रिकॉर्ड किया गया था, तब तक संजीव जैन दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के मेंबर सेक्रेटरी थे। अब उनका विधिक सेवाएं प्राधिकरण से तबादला हो चुका है।)
सवाल: संजीव जी आज कोर्ट परिसर में लोक अदालत हो रही है। विधिक सेवाएं प्राधिकरण के मेंबर सेक्रेटरी के तौर पर आप काफी व्यस्त भी हैं तो सबसे पहले हमें ये बताएं कि लोक अदालतों में विधिक सेवाएं प्राधिकरण का क्या भूमिका होती है?
जवाब: लोक अदालत आयोजित करना विधिक सेवाएं प्राधिकरण का काम है। देश भर में जितनी भी लोक अदालतें होती हैं, उसे जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण या राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण आयोजित करती है। 10 मार्च को हुई लोक अदालत राष्ट्रीय स्तर पर हुई। ये लोक अदालत पूरे देश में हुई।
सवाल- विधिक सेवाएं प्राधिकरण को लेकर आम जन कितना जागरुक है, दिल्ली में कितनी जनता विधिक सेवाएं प्राधिकरण के बारे में जानती है?
जवाब: देखिए.. प्रतिशत में ये कहना बहुत मुश्किल है कि कितने फीसदी लोग हमारे बारे में जानते हैं। लेकिन एक बात मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि पिछले कुछ सालों में दिल्ली विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सेवाओं के बारे में विभिन्न माध्यमों से जागरुकता फैलाने की कोशिश की गई है। उसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दिल्ली में कोर्ट में करीब 26 हजार केस लीगल एड के हैं। दिल्ली में मुकदमों की कुल पेंडेंसी साढ़े चार-पांच लाख है। साढ़े चार-पांच लाख में 26 हजार केस का लीगल एड के पास होना ये दिखाता है कि लोगों को विधिक सेवाएं प्राधिकरण के बारे में जानकारी है और लोगों का लोगों का भरोसा बढ़ा है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि करीब 1200 वकील हमारे पैनल में हैं, जो जिला अदालतों और विभिन्न ट्रिब्यूनल्स में काम कर रहे हैं। ये किसी भी सरकारी संगठन का सबसे बड़ा वकीलों का पैनल है। दिल्ली में विधिक सेवाएं प्राधिकरण को लेकर विभिन्न माध्यमों के जरिए जागरुकता फैलाने की कोशिश की गई है। अब संस्था और समुदाय दोनों स्तरों पर काफी लोग लीगल एड सर्विसेज के बारे में जानने लगे हैं।
सवाल: दिल्ली विधिक सेवाएं प्राधिकरण कैसे सुनिश्चित करती है कि जरूरतमंदों को बेहतर वकील मिले जो उनके केस को अदालत में बेहतर तरीके से रख पाए?
जवाब: दिल्ली में हमारे लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता ये है कि हम लीगल एड दे सकें और इसकी गुणवत्ता बेहतर हो। इसके लिए सबसे जरूरी है कि हमारे वकीलों की गुणवत्ता बेहतर हो। एक बात सभी को समझनी होगी कि लीगल एड के वकील उपलब्ध वकीलों में ही लिए जा सकते हैं। दिल्ली में हम नए वकीलों की जरूरत का अध्ययन करके साल में एक या दो बार ऑनलाइन विज्ञापन निकालते हैं। ऑनलाइन आवेदन लेते हैं। अनुभव के लिए मुकदमों की फोटोकॉपी लेते हैं। इसकी स्क्रूटनी करते हैं। हाई पैनल इंटरव्यू बोर्ड होता है, जिसमें डिस्ट्रिक्ट जजेज होते है। इंटरव्यू के जरिए वकील का चयन करते हैं। चयन की प्रक्रिया पारदर्शी है। सेलेक्शन के बाद दो-तीन दिन की इंडक्शन ट्रेनिंग होती है। इसके बाद रिफ्रेशर कोर्स चलते हैं। फेमिली कोर्ट, फौजदारी कोर्ट, सिविल कोर्ट, जुवेनाइल कोर्ट, एनजीटी कोर्ट आदि के वकीलों का अलग-अलग पैनल है। पैनल के मुताबिक अलग-अलग ट्रेनिंग और रिफ्रेशर कोर्स चलते हैं।
सवाल: ऐसे देखने में आते हैं कि कई बार जरूरतमंद वकील के काम से संतुष्ट नहीं होता। ऐसे में विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने अपने पैनल के वकीलों की मॉनिटरिंग के लिए क्या व्यवस्था की है?
जवाब: दिल्ली में विधिक सेवाएं प्राधिकरण के वकीलों के काम के मॉनिटरिंग की पूरी व्यवस्था है। हर जिले में रिटायर्ड डिस्ट्रिक जज के लेवल के जज को ओडुम्बसमैन बनाया गया है। एक मॉनिटरिंग कमेटी है जो लगातार पैनल के वकीलों के संपर्क में रहता है और कोशिश करता है कि उनके काम में मार्गदर्शन दे सके साथ ही काम की समीक्षा कर सकें। अगर शिकायतें मिलती हैं तो शिकायतों के लिए एक प्रक्रिया है। मॉनिटिरिंग कमेटी जांच के बाद कार्रवाई भी करती है। अगर शिकायतें मिलती हैं तो शिकायतों के लिए एक प्रक्रिया है। मॉनिटिरिंग कमेटी जांच के बाद कार्रवाई भी करती है।
सवाल: क्या विधिक सेवा प्राधिकरण वकीलों के अलावा दूसरे स्टेकहोल्डर्स जैसे जजेज, पुलिस की ट्रेनिंग भी कराती है?
जवाब: विधिक सेवाएं प्राधिकरण में जब नए जज सेक्रेटरी बनकर आते हैं तो उनके लिए ओरिएंटेशन प्रोग्राम करते हैं। हर महीने डिस्ट्रिक विधिक सेवा प्राधिकरण के सेक्रेटरीज के साथ बैठक होती है। जब भी कोई नया प्रोजेक्ट बनाते हैं तो सबसे पहले सेक्रेटरीज का ही ओरिएंटेशन करते हैं। इसी तरह से हमारे सैकड़ों स्टेकहोल्डर्स हैं। पुलिस, एनजीओ, महिलाएं, सीनियर सिटिजन, स्टूडेंट, लॉ कॉलेज हमारे स्टेकहोल्डर्स हैं। जहां जरूरत होती है उनके साथ ट्रेनिंग प्रोग्राम करते हैं। हम साल भर में करीब 5 हजार से 6 हजार ट्रेनिंग और अवेयरनेस प्रोग्राम करते हैं। हमारे स्टाफ के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित जाते हैं।
सवाल: क्या विधिक सेवा प्राधिकरण का काम सिर्फ अदालती कार्यवाही में कानूनी सहायता देना है?
जवाब: देखिए आप विधिक सेवाएं प्राधिकरण को दो स्तर पर देख सकते हैं। कानूनी सहायता एवं सेवाएं। जब भी जरूरतमंद को हमसे या हमारे वकील से किसी सलाह की जरूरत है तो इसे देना हमारा काम है। कानूनी मदद की बात करें तो ये हमारा काम है। लेकिन कानूनी सहायता से हम सिर्फ ये न समझे कि हमारा काम अदालतों में वकील मुहैया कराना है। कानूनी सहायता से मतलब है कि लोगों के कानूनी अधिकारों में आए अवरोध को दूर करना। लोगों को कानूनी अधिकारों के प्रति जागरुक करना है। कानूनी अधिकार का मतलब सिर्फ कोर्ट के केस नहीं है। सरकार की सैकड़ों योजनाए हैं। ये योजनाए लोगों तक पहुंचे और अगर इसमें कोई अड़चन है तो उसमें भी मदद करना हमारा काम है और हम करते हैं। उदाहरण के लिए शिक्षा कानूनी अधिकार है। राशन कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड कानूनी अधिकार है। अगर कोई कानून के मुताबिक इस अधिकारों के योग्य है और इन अधिकारों को पाने में कोई अड़चन आती है तो हमारा काम है उसमें मदद करना।
सवाल: जिन्हें कानूनी सहायता की जरूरत होती है और जो विधिक सेवा प्राधिकरण के पास आते हैं उन्हें सहायता मिलती है। लेकिन जिन्हें पुलिस हिरासत में लेती है या फिर जिन्हें गिरफ्तार करती है। वे तो आपके पास कानूनी मदद मांगने नहीं आ सकते। उन तक विधिक सेवा प्राधिकरण कैसे कानूनी मदद पहुंचाती है?
दिल्ली में हमने हर स्तर पर प्रभावी लीगल एड देने की कोशिश की है। किसी व्यक्ति को अगर पुलिस गिरफ्तार करेगी तो थाने के लेवल पर हमने लीगल एड देने की व्यवस्था की है।
जवाब: धन्यवाद आपने ये सवाल किया। मैं इस सवाल का इंतजार कर रहा था। कानूनी अधिकारों में सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है उनकी कानूनी सलाह या सहायता मुहैया कराना जो पुलिस की कस्टडी में है। ऐसे लोगों को कानूनी अधिकार मिलना इसलिए जरूरी है क्योंकि यहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सवाल खड़ा हो जाता है। आप को जानकर खुशी होगी कि दिल्ली में हमने हर स्तर पर प्रभावी लीगल एड देने की कोशिश की है। किसी व्यक्ति को अगर पुलिस गिरफ्तार करेगी तो थाने के लेवल पर हमने लीगल एड देने की व्यवस्था की है। हमारे लीगल एड के वकील जो पूरी दिल्ली में वो उपलब्ध हैं। हमारी दिल्ली पुलिस से SOP है कि किसी को गिरफ्तार करेंगे तो हमारे लीगल एड के वकील से जो ड्यूटी पर उससे फौरन टेलीफोन पर बात कराएंगे। यहां ये ध्यान देने वाला बात है कि जिसे गिरफ्तार किया है सिर्फ उसी से बात नहीं कराएंगे। अगर जरूरत है तो शिकायतकर्ता भी हमारे लीगल एड के वकील से कानूनी जानकारी ले सकता है। अगर जरूरत है तो हमारा वकील पुलिस थाने जाकर सलाह दे सकता है। पुलिस जब आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करती है तो कोर्ट में स्थित लॉकअप में लाया जाता है। हर लॉकअप में लीगल एड की हेल्प डेस्क है। पुलिस थाने में लीगल एड और कोर्ट स्थित लॉकअप में हेल्प डेस्क. दोनों को पिछले साल ही शुरू किया गया है। ये हमारा नया प्रोजेक्ट है।
कोर्ट परिसर के लॉकअप के हेल्प डेस्क में सुबह 10 से शाम 5 बजे तक लीगल एड के वकील और पैरा वालंटियर्स होते हैं। पुलिस को निर्देश है कि जो भी नई गिरफ्तारी है उन्हें लीगल एड के वकील से मिलवाना ही है और जो पहले से गिरफ्तार है वो भी वहां सलाह ले सकते हैं। उनके रिश्तेदार भी सलाह ले सकते हैं। हर फौजदारी की अदालत में लीगल एड का एक रिमांड एडवोकेट होता है। जो रोज सुबह 10 से शाम 5 बजे तक होता है। वहां सलाह और सहायता ली जा सकती है।
सवाल: लॉकअप और पुलिस थाने में विधिक सेवाएं प्राधिकरण न सिर्फ हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार व्यक्ति को बल्कि शिकायतकर्ता को लीगल एड मुहैया कराती है। क्या जेल में कैदियों के बीच भी विधिक सेवाएं प्राधिकरण की लीगल एड मुहैया होती है?
दिल्ली की जेलों में हमने नया प्रयोग किया। लंबी सजा काट रहे पढ़े-लिखे कैदियों, जिनका व्यवहार अच्छा है, उन्हें हमने पैरा लीगल वालंटियर्स बनाया है।
जवाब: दिल्ली में 17 जेल है। हर जेल में लीगल एड क्लिनिक है। यहां कंप्यूयर, ई कियोस्क और लाइब्रेरी हैं। नेशनल हॉलिडे को छोड़कर हर रोज दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक डिस्ट्रिक कोर्ट और हाईकोर्ट से वकील जाते हैं। जेल प्रशासन के साथ मिलकर जेल में लीगल एड देने का काम करते हैं। जेलों में अवेयरनेस के लिए हर साल सैकड़ो कार्यक्रम आयोजित करते हैं। दिल्ली की जेलों में हमने नया प्रयोग किया। लंबी सजा काट रहे पढ़े-लिखे कैदियों, जिनका व्यवहार अच्छा है, उन्हें हमने पैरा लीगल वालंटियर्स बनाया है। ट्रेनिंग के बाद ये वालंटियर्स कैदियों और हमारे लीगल एड के बीच में पुल का काम करता है। अंदर बैरक में कैदियों को लीगल एड की सर्विस के बारे में बताते हैं। मदद करते हैं। वकीलों की मदद करते हैं। ये प्रयोग बहुत ही सफल हुआ है। तो आप देख सकते है कि हर लेवल पर लीगल एड मौजूद है और ये बहुत ही बेहतरीन काम करते हैं।
क्रमश:…
After more than 30 years of passing of the Legal Services Authority Act 1987, the Delhi state Legal Services Authority shown its high progress in fulfilling the desirable objectives.
I on behalf of the Faculty of Law Jamia Millia Islamia witnessed many programs on of the Report on the Manual Scavenging in Delhi considered and appreciated by Apex Judges under the Leadership of Mr.Sanju Jain as Member Secretary /SOD.DSLSA.
Deserves big appreciation. Congratulations.
Sir
Congratulations are in order
It was a very informative interview and I learnt so many things about DSLSA.
Good job on handling so many cases and about 12,000 lawyers under this association.DSLA is working great under your guidance . Looking forward to more success and great work for the society.
Gud job by yu..
Congrats..
Op sapra.
Spl. MM.
MCD court, Ex.