पुणे में हुए दुर्भाग्यपूर्ण पोर्श एक्सीडेंट से हुई दो इंजीनियर की मृत्यु ने पुनः सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के संदर्भ के बारे में सोचने पर विवश किया है। सड़क दुर्घटनाएं न केवल हर वर्ष बढ़ती जा रही है, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना पर भी गहरा असर डाल रही हैं। हर साल हजारों लोग इन हादसों में अपनी जान गंवाते हैं और लाखों घायल होते हैं।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से प्रकाशित ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2022’ रिपोर्ट, सड़क दुर्घटनाओं और उनमें होने वाली मौतों के चिंताजनक रुझानों पर प्रकाश डालती है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,68,491 लोग मारे गए और 4,43,366 लोग घायल हुए। यह पिछले वर्ष की तुलना में दुर्घटनाओं में वर्ष-दर-वर्ष 11.9% की वृद्धि, मृत्यु दर में 9.4% की वृद्धि तथा घायलों संख्या में 15.3% की वृद्धि दर्शाते हैं।
सड़क सुरक्षा न केवल अपने देश की बल्कि एक वैश्विक समस्या है, हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 1.3 मिलियन लोग मारे जाते हैं।
दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली हर चार मौतों में से एक भारत में होती है। सड़क दुर्घटनाओं के कारण मरने वाले लोगों की कुल संख्या में भारत सबसे आगे है।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं से राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग का 5% से 7% नुकसान है । सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 2018 में भारत में सड़क दुर्घटना की औसत सामाजिक-आर्थिक लागत मृत्यु के सन्दर्भ में 91 लाख रुपये तथा गंभीर चोटों के सन्दर्भ में 3.6 लाख रुपये है।
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के संदर्भ में जापान ने उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे दुर्घटनाओं से होने वाली मानव हानि 1990 में 16,765 से घटकर 2019 में 3,215 हो गई है। इसके लिए विभिन्न उपायों को लागू किया है, जैसे यातायात कानूनों का सख्त प्रवर्तन, सड़क बुनियादी ढांचे में सुधार, सीट बेल्ट और हेलमेट के उपयोग को बढ़ावा देना , तथा वाहनों में उन्नत सुरक्षा प्रौद्योगिकियों को लागू करना। जापान की जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है जापान की *व्यापक सड़क सुरक्षा शिक्षा प्रणाली , जो प्री-प्राइमरी से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक जीवन के सभी चरणों को कवर करती है।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण
यातायात नियमों का उल्लंघन सबसे प्रमुख कारण है। इसमें अत्यधिक गति से वाहन चलाना, शराब पीकर वाहन चलाना, हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग न करना विशेष रूप से सम्मिलित हैं। बिना उचित प्रशिक्षण, बिना लाइसेंस के वाहन चलाना और ड्राइविंग के दौरान ध्यान भटकाना जैसे कि मोबाइल फोन का उपयोग, संगीत सुनना, या अन्य गतिविधियों में लिप्त होने से भी दुर्घटनाओं की सम्भावना बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त सड़क और बुनियादी ढांचे में समस्याओं से जैसे खराब सड़कें, गड्ढे, टूटे-फूटे मार्ग और सही मरम्मत की कमी के कारण भी दुर्घटनाओं संख्या बढ़ोतरी होती है। सड़कों पर सही संकेतों और प्रकाश व्यवस्था की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।
वाहनों की खराब स्थिति, नियमित निरीक्षण और रखरखाव का अभाव, ओवरलोडिंग आदि भी दुर्घटना की संभावना को बढ़ावा देते हैं। कभी-कभी खराब मौसम जैसे कि बारिश, कोहरा, या अन्य प्राकृतिक घटनाओं के दौरान दृश्यता की कमी आदि तथा सड़कों पर जानवरों के आने और पैदल यात्रियों का असावधानीपूर्वक सड़क पार करने के कारण भी सड़क दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ती है।
सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के उपाय
सड़क दुर्घटनाओं से बचाव हेतु सर्वप्रथम जनमानस को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करना होगा। मीडिया, सोशल मीडिया, और सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
यातायात नियमों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए तथा नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना और दंड को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। ट्रैफिक पुलिस को बेहतर प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरण प्रदान किए जाने चाहिए।
यातायात शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देना होगा। स्कूल और कॉलेजों में यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा की शिक्षा अनिवार्य की जाए।
सड़क और बुनियादी ढांचे में सुधार हेतु नियमित मरम्मत और रखरखाव किया जाए। इसके अतिरिक्त सुरक्षा उपकरणों की स्थापना जैसे संकेतक, ट्रैफिक लाइट्स, स्पीड ब्रेकर, और ज़ेबरा क्रॉसिंग की स्थापना की जाए।वाहनों में आधुनिक सुरक्षा उपकरणों की अनिवार्यता की जाए। लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कठोर और व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम अनिवार्य किए जाएं। ड्राइवरों का नियमित रूप से पुनः परीक्षण किया किया जाए।
स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से सीसीटीवी निगरानी, सिग्नल कंट्रोल सिस्टम, और ट्रैफिक जाम की रियल-टाइम सूचना प्रणाली का उपयोग किया जाए। एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) के द्वारा लेन-कीपिंग असिस्ट, ऑटोनॉमस ब्रेकिंग सिस्टम, और ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन जैसी तकनीकों का बढ़ाना चाहिए।इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है सामुदायिक और पारिवारिक सहभागिता के माध्यम से परिवारों को बच्चों और युवाओं को सुरक्षित ड्राइविंग की आदतें सिखाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। स्थानीय स्तर पर सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सरकार, समाज, और हम सभी को मिलकर उपायों को लागू करना होगा। केवल एक संगठित और सतत प्रयास से ही हम अपनी सड़कों को सुरक्षित बना सकते हैं और मानवीय जीवन की रक्षा कर सकते हैं। जागरूकता, शिक्षा, और तकनीकी उपायों के माध्यम से ही हम एक सुरक्षित और सुव्यवस्थित यातायात व्यवस्था की स्थापना कर सकते हैं। आइए हम सभी मिलकर इस दिशा में अपना योगदान करें।
(लेखक रविशंकर द्विवेदी उत्तर प्रदेश के कौशांबी जनपद में जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) के तौर पर पदस्थ हैं।)