नोएडा के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (पीजीआईसीएच) में आज 150 से अधिक थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों के साथ अंतरराष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस मनाया गया। 2024 में अंतरराष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस का विषय है सभी के लिए समान उपचार।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डायरेक्टर हर्ष मंगला ने उपस्थित लोगों को एनएचएम के जरिए रोगियों को दी जाने वाली सेवाओं के बारे में बताया। उन्होंने संस्थान में थैलीसीमिया रोगियों के इलाज में हुई उपलब्धियों एवं प्रगति के लिए बधाई दी। पीजीआईसीएच नोएडा में साल 2018 में हीमोफिलिया और हीमोग्लोबिनोपैथी के लिए एक एकीकृत केंद्र की स्थापना हुई।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय की सलाहकार विनीता श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में मौजूद थैलीसीमिया पीड़ितों के परिवारों को बताया कि भारत में थैलेसीमिया के लिए सेवाएं कैसे विकसित की गईं और अब इन योजनाओं के माध्यम से अधिक से अधिक परिवारों को कैसे सहायता दी जाती है। उन्होंने इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा थैलीसीमिया पीड़ित परिवारों को पहुंचाने की अपील भी की।
पीजीआईसीएच के निदेशक प्रोफेसर एके सिंह ने देश में थैलेसीमिया को कम करने के लिए थैलेसीमिया वाहक जोड़ों के लिए आनुवंशिक सेवाएं उपलब्ध कराने की आवश्यकता का जिक्र किया।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव डीएस मिश्रा ने वीडियो के जरिए संदेश दिया। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में यूपी राज्य में थैलेसीमिया रोगियों की देखभाल में हुई प्रगति के बारे में बताया। पीजीआईसीएच नोएडा का केंद्र अब न केवल यूपी के बच्चों की देखभाल कर रहा है, बल्कि उत्तर भारत के कई अन्य राज्यों के लिए एक रेफरल केंद्र है। अधिक क्षमता वाला एक अत्याधुनिक अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण केंद्र जल्द ही कार्यशील हो जाएगा। इससे ज्यादा रोगियों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर पाएंगे।
वीडियो संदेश में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने संस्थान को प्रगति और एक छत के नीचे सभी सेवाएं प्रदान करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया और अन्य रक्त संबंधी रोगों के मरीजों के लिए यह संस्थान वरदान बन गया है। ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की एचओडी डॉ. सीमा दुआ ने थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए सुरक्षित रक्त सेवाओं की आवश्यकता पर बात की।
संस्थान ने थैलेसीमिया के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर कार्य करने वालों कुछ लोगों को सम्मानित भी किया। इसमें थैलेसीमिया इंडिया की शोभा तुली, नेशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी के डॉ. जेएस अरोड़ा, थैलेसीमिया सोसाइटी बरेली के डॉ. जेबी सरदाना, वंशिका थैलेसीमिया सोसाइटी के जितेंद्र परुथी और पीजीआईसीएच की थैलेसीमिया सेवाओं की परामर्शदाता मंजू सिंह शामिल रहे।
कार्यक्रम का आकर्षण थैलीसीमिया ने पीड़ित बच्चों का मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना रहा। बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए उन्हें पुरस्कार भी दिए गए। साथ ही अजीत भारती ने पपेट शो से बच्चों का मनोरंजन भी किया।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में ही डॉ. सिल्की जैन, सहायक प्रोफेसर ने सभा का स्वागत किया और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण सहित थैलेसीमिया के लिए उपलब्ध उपचार का संक्षेप में वर्णन किया।
संस्थान थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के निदान से लेकर अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण तक का एक बेहतरीन देखभाल केंद्र है। केंद्र की स्थापना से अब तक संस्थान में 360 से अधिक मरीज पंजीकृत हो चुके हैं। संस्थान का यह केंद्र बोन मैरो ट्रांसप्लाटेंशन के साथ थैलीसीमिया पीड़ितों के ट्रांसफ्यूजन, केलेशन और हर तरह की समस्या के निदान में मदद करता है। यह केंद्र स्वैच्छिक रक्तदाताओं को प्रेरित करने, रोगियों और उनके परिवार के लिए निशुल्क एचएलए टाइपिंग आदि में मदद करता है। तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं एवं थैलीसीमिया पीड़ितों की मदद के लिए बने संगठनों से भी इसमें मदद ली जाती है।
थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के उपचार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, MOHFW के माध्यम से, अधिकांश राज्यों को सहायता दी जाती है। इस केंद्र को स्टेम सेल प्रत्यारोपण के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष, राष्ट्रीय आरोग्य निधि और असाध्य रोग निधि से भी सहायता मिल रही है।
पीजीआईसीएच अपने थैलेसीमिक रोगियों के लिए 100% एनएटी परीक्षणित, ल्यूकोडेप्लेटेड रक्त प्रदान करता है। इस प्रकार यह भारत के उन कुछ केंद्रों में शामिल हो गया जो वर्तमान में ऐसा करने में सक्षम हैं।
विभागाध्यक्ष डॉ. नीता राधाकृष्णनस, सहायक प्रोफेसर डॉ. अर्चित पंढरीपांडे, सहायक प्रोफेसर डॉ. अनुज सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम के अंत में सफल आयोजन में सहयोग करने वाले डिपार्टमेंट और संस्थान के सभी सहयोगियों का धन्यवाद दिया गया।