स्कूल टॉपर, ओलंपियाड विजेता, सेना में मेडिकल ऑफिसर, अब डिप्टी एसपी लेकिन ये मंजिल नहीं, कहानी अभी बाकी है..

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अरुण पराशर, एक होनहार जिसने परीक्षा में या तो टॉप किया या टॉपर्स की लिस्ट में रहा। नाना ने बचपन में ही आईएएस-पीसीसी बनने का सपना दिखा दिया। परिवार की आर्थिक हालात की वजह से इस सपने के करीब पहुंचने में थोड़ी देरी जरूर हुई। लेकिन सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन पूरी करने के बाद इस होनहार का उत्तर प्रदेश में डिप्टी एसपी के पद पर चयन हो चुका है। लेकिन रुकिए, कहानी अभी खत्म नहीं हुई। खुद मेजर अरुण पाराशर की जुबानी सुनिए उनकी सफलता की कहानी और आखिर इस कहानी में अभी क्या आना बाकी है?

 

मेरा जन्म आगरा जिले की बाह तहसील के विपरौली गांव में हुआ था। पिताजी सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक थे। घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। मैंने और मेरी बहन ने अपनी प्राथमिक शिक्षा शिशु मंदिर में ही की। पिताजी के शिक्षक होने की वजह से हमारी फीस बहुत कम लगती थी। वरिष्ठ विद्यार्थियों से पुरानी पुस्तकें फ्री में मिल जाया करती थी। मेरे माता-पिता ने ठान लिया था कि दोनों बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देनी है। उसका परिणाम यह था कि मैं और मेरी बहन हमेशा शिशु मंदिर में शीर्ष अंकों से उत्तीर्ण होते थे। लक्ष्मी गणेश जी के कई चांदी के सिक्के हमें पुरस्कार के रूप में मिले।

 

मेरे दादाजी कृषक थे। उनकी स्कूली शिक्षा नहीं हुई थी। लेकिन बचपन में हम भाई-बहन को इंग्लिश में कुछ भी बोलने को कहते थे। हम इंग्लिश में जो भी बोलते उनकी समझ में कुछ भी नहीं आता था। लेकिन हमे सुनकर वे बहुत खुश हुआ करते थे। मेरी पढ़ाई में मेरे नाना का बहुत योगदान रहा है। वे स्वयं वेटेनरी डॉक्टर थे। उन्होंने मेरी पढ़ाई के प्रति रुचि देख ली थी। उन्होंने ही मेरे लिए आईएएस-पीसीएस का लक्ष्य निर्धारित किया था। वे मेरी मम्मी से अक्सर कहा करते थे कि अरुण को पढ़ने के लिए हम प्रयागराज भेजेंगे।

 

पांचवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान मैंने नैनीताल घोड़ाखाल सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा दी। ये आज भी बहुत कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाती है। मैं इस परीक्षा में सफल रहा। फीस ज्यादा होने के कारण मेरा परिवार असमंजस में था कि प्रवेश कराएं या नहीं। तब मेरे नाना ने मेरे माता-पिता से कहा कि अरुण अभी यहां पर टॉपर है। मजा तब आएगा, जब वह प्रदेश के चुने हुए बच्चों के साथ उठेगा बैठेगा। यदि वहां टॉप करेगा तो यह बहुत अच्छा होगा। उन्होंने मेरे माता-पिता को सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आर्थिक मदद भी की।

 

हिंदी मीडियम से इंग्लिश मीडियम में जाने की वजह से मुझे सैनिक स्कूल में शुरू में थोड़ी समस्याएं जरूर हुई। थोड़े ही समय में मैं इस समस्या से उबर गया। छठी से 12वीं तक मैंने सैनिक स्कूल में टॉप किया। मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ने मेरे लिए मोटिवेशन का काम किया। पढ़ाई के साथ-साथ स्कॉलरशिप एग्जाम में भी भाग लिया। मुझे ओलंपियाड और NTSE की स्कॉलरशिप भी मिली।

 

 

सैनिक स्कूल से 12वीं करने के बाद ही मैंने ऑर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज (AFMC) का एंट्रेंस एग्जाम दिया। इस परीक्षा में भी मुझे सफलता मिली। बहुत सोच समझ के मैंने AFMC में एडमिशन का विचार किया। लेकिन नाना के शब्द मेरे कानों मे गूंज रहे थे। पढ़ाई और खेलों में अच्छे प्रदर्शन का सिलसिला कॉलेज में भी जारी रहा। मैं यहां भी पढ़ाई में टॉपर रहा। मैं कॉलेज कैप्टन भी रहा। साथ ही साथ स्कॉलरशिप की परीक्षाओं और क्विज में भी भाग लेता रहा, ताकि मुझे पॉकेट मनी के लिए घर से कुछ ना मांगना पड़े। डिग्री पूरी होने के बाद मैंने भारतीय सेना में कमीशन लिया। मुझे नाना जी की इच्छा पूरी करनी थी, मैंने शॉर्ट सर्विस कमीशन लिया ताकि मैं आईएएस-पीसीएस में सफलता पा सकूं। हालांकि मैंने इस लक्ष्य को थोड़े समय के लिए टाल दिया था, क्योंकि मुझे सेना में पूरी तन्मयता से कार्य करना था।

 

सेना में भी मैंने खुद की इच्छा से पैरा स्पेशल फोर्सेज की ट्रेनिंग ली। देश में आगरा, लखनऊ, जम्मू कश्मीर, बैंगलोर, जोधपुर. चेन्नई आदि स्थानों पर पोस्टिंग रही। विदेश में कुछ वक्त साउथ सूडान में बिताए। सर्विस का बॉन्ड पीरियड पूरा होने के बाद मैंने सेना से आईएएस-पीसीएस एग्जाम देने की परमिशन ली। सन 2019 में मैंने अपना यूपीएससी का पहला प्रीलिम्स दिया। इसी वर्ष मैंने उत्तर प्रदेश की राज्य सिविल सेवा (यूपीपीसीएस) की परीक्षा पास की और मेरा डिप्टी जेलर के लिए चयन हुआ। मैं अपनी इस सफलता से बहुत उत्साहित था। मुझे विश्वास था कि मुझे और बड़ी सफलता मिलेगी।

 

 

जनवरी 2023 में सेना का कार्यकाल पूरा करके मैं डिप्टी जेलर की ज्वाइनिंग के लिए आया। कुछ टेक्निकल कारणों से मेरी जॉइनिंग नहीं हो पाई। इस वजह से मैं काफी दुखी था। मैंने अपना सारा फोकस 2023 के यूपीपीसीएस एग्जाम पर लगा दिया। मेरी मेहनत रंग लाई। 2023 में मेरा डिप्टी एसपी पद के लिए चयन हुआ। मुझे यह विश्वास है कि सेना के अनुभव मुझे एक अच्छा पुलिस अधिकारी बनाने में सहायक होंगे। प्रदेश की जनता की सेवा एक कर्त्तव्य निष्ठ अधिकारी के रूप में कर पाउंगा।

 

हालांकि अभी भी एक लक्ष्य बाकी है। मुझे यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल करनी है और अपने प्रदेश में ही सेवा करनी है। मैं जानता हूं कि यह एक बड़ा लक्ष्य है। इसके लिए मुझे आज तक की अपनी बेस्ट परफॉरमेंस देनी होगी। मैं दोबारा से जुट गया हूं। ईश्वर और माता पिता का आशीर्वाद मेरे साथ है। मुझे पूरी उम्मीद है मेरे नानाजी के सपनों को पूरा कर यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर प्रदेश के लोगों की सेवा करने का अवसर मुझे अवश्य प्राप्त होगा।

 

मेरे जीवन का एक ही ध्येय वाक्य है- सेवा परमो धर्मः