सोलर पॉवर की ऊर्जा क्रांति में भारत के साथ दुनिया के विकास की कुंजी

Solar Energy

भारत, एक उभरता हुआ वैश्विक शक्ति केंद्र, अपनी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लंबे समय तक पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों जैसे कोयला, खनिज तेल, और प्राकृतिक गैस पर निर्भर रहा है। लेकिन आज, जब दुनिया जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट के गंभीर दौर से गुजर रही है, सौर ऊर्जा एक स्थायी और प्रभावी समाधान के रूप में उभरकर सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सौर ऊर्जा को न केवल एक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इसे राष्ट्रीय और वैश्विक विकास की कुंजी माना गया है।

 

सौर ऊर्जा की आवश्यकता

 

भारत, जो अपनी विशाल जनसंख्या और आर्थिक विकास के कारण ऊर्जा की भारी खपत करता है, 2023 में लगभग 1500 TWh ऊर्जा का उपभोग कर रहा था। अनुमान है कि 2040 तक यह आंकड़ा 3000 TWh तक पहुंच सकता है। ऐसे में सौर ऊर्जा के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

 

भारत की भौगोलिक स्थिति इसे सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए आदर्श बनाती है। देश को हर वर्ष औसतन 5-7 किलोवाट घंटे प्रति वर्ग मीटर सूर्य की ऊर्जा प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए, राजस्थान में स्थित भादला सोलर पार्क, जिसकी उत्पादन क्षमता 2245 मेगावाट है, हर साल लगभग 4.9 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन को रोकता है।

यदि भारत के सभी राज्य अपनी सौर ऊर्जा क्षमता का पूरा उपयोग करें, तो हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बन सकता है।

पर्यावरणीय, स्वास्थ्य और सतत विकास के लाभ

 

भारत, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तीसरे स्थान पर है, सौर ऊर्जा के माध्यम से अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए प्रयासरत है। 2030 तक 500 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य राष्ट्रीय सौर मिशन का हिस्सा है।

 

पर्यावरणीय लाभ: सौर ऊर्जा कार्बन उत्सर्जन को कम करके प्रदूषण नियंत्रण में सहायक है। 1 मेगावाट सौर ऊर्जा प्रति वर्ष 1500 टन CO₂ उत्सर्जन को रोक सकती है।

 

स्वास्थ्य लाभ: सौर ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से वायु प्रदूषण में कमी आएगी, जिससे श्वसन और हृदय रोगों में कमी आने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

 

सतत विकास: सौर ऊर्जा न केवल भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकती है, बल्कि यह स्थिर आर्थिक और सामाजिक विकास का माध्यम भी है। कुसुम योजना के तहत किसानों को सौर पंप की सुविधा देकर उनकी सिंचाई लागत को 70% तक घटाया गया है।

 

मध्य प्रदेश के एक छोटे गांव का उदाहरण लें, जहां सौर पंप ने एक किसान की सिंचाई लागत को 60% कम कर दिया और उसके मुनाफे में 40% की वृद्धि की।

 

प्रधानमंत्री मोदी जी का नेतृत्व और वैश्विक पहलें

 

प्रधानमंत्री मोदी जी ने सौर ऊर्जा को वैश्विक आंदोलन में बदलने का बीड़ा उठाया है। इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) और वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड जैसी पहलें भारत की इस दिशा में मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

भारत का नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन 2020 में 136 गीगावाट था, जिसे 2030 तक 500 गीगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इस उपलब्धि में सौर ऊर्जा का योगदान महत्वपूर्ण रहेगा।

नई तकनीकी क्रांति और भविष्य की योजना

 

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे नवाचार भारत के ऊर्जा भविष्य को और सशक्त बना रहे हैं। परॉव्स्काइट सोलर सेल्स, स्मार्ट सोलर ट्रैकर्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित तकनीकें उत्पादन लागत को घटा रही हैं और दक्षता को बढ़ा रही हैं।

 

भारत का लक्ष्य 2025 तक सौर ऊर्जा में 175 गीगावाट की क्षमता प्राप्त करना है। इसके लिए सोलर रूफटॉप योजनाओं, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स, और मिनी ग्रिड्स को बढ़ावा दिया जा रहा है।

 

सौर ऊर्जा: स्वच्छ और स्थायी भविष्य की कुंजी

 

सौर ऊर्जा केवल ऊर्जा का स्रोत नहीं है; यह एक क्रांति है जो पर्यावरण, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने में सक्षम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने इस क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई है।

 

आज, यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि सौर ऊर्जा को अपनाएं और अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। यह सामूहिक प्रयास न केवल भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि हमारे पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करेगा।

 

आइए, सौर ऊर्जा को अपनाकर भारत को हरित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।

 

(लेखक रविशंकर द्विवेदी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जनपद में जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) के तौर पर पदस्थ हैं।)