चित्रकूट की मंदाकिनी नदी को प्रदूषण मुक्त करने का स्वामी रामभद्राचार्य ने लिया संकल्प, रामचंद्र दास ने संभाला जिम्मा

Chitrakoot Mandakini River (1)

चित्रकूट धाम की जीवनरेखा मंदाकिनी नदी को प्रदूषण मुक्त और स्वच्छ करने की पहल हुई है। ये पहल स्वयं जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने की है। स्वामी महाराज ने उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास महाराज को मंदानिकी की सफाई का गुरु आदेश दिया है।

 

 

मंदाकिनी नदी प्रभु श्रीराम के संघर्ष, साधना एवं संकल्प की साक्षी रही है। ये श्रीसीताराम की विहार-भूमि को सिंचित करने वाली नदी है। पौराणिक महत्व को धारण किए हुए मंदाकिनी नदी चित्रकूट धाम की जीवन रेखा है। स्थानीय निवासियों और प्रशासनिक उदासीनता से मंदाकिनी नदी का हाल बेहाल हो गया है। कभी मंदाकिनी का जल निर्मल और स्वच्छ होता था। संतों की तपोस्थली रही चित्रकूट में विकास का प्रवाह बढ़ा लेकिन मंदाकिनी का स्वच्छ प्रवाह बाधित हो गया। करीब 50 किलोमीटर लंबी मंदाकिनी नदी प्रदूषित हो गई। नाले, सीवर और भक्तों की नासमझी से मंदाकिनी नदी प्रदूषित हो गई।

 

कभी कल कल बहती स्वच्छ मंदाकिनी के किनारे साधना करने वाले जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज मौजूदा स्थिति से बहुत व्यथित हैं। पिछले दिनों मंदाकिनी नदी के प्रदूषित होने का मुद्दा जोर-शोर से उठा। तब स्वामी रामभद्राचार्य ने स्वयं इस पौराणिक नदी की स्वच्छता का संकल्प लिया। अब संकल्प को पूरा करने की जिम्मेदारी उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास महाराज सौंपी है। स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने शिष्यों को सबसे पहले श्री तुलसी पीठ से सटे क्षेत्रों में नदी की सफाई का आदेश दिया है।

 

 

गुरु का आदेश मिला तो उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास महाराज मंदाकिनी को प्रदूषण मुक्त करने के अभियान में जुट गए हैं। चार अप्रैल को आचार्य रामचन्द्र दास के नेतृत्व में शिष्यों ने नदी की स्वच्छता का अभियान चलाया। हाथ में शास्त्र थामने वाले धर्मयोद्धा फावड़ा और तसला उठाकर मंदाकिनी में उतर पड़े। संतों को नदी में सफाई करते देख स्थानीय लोग भी प्रेरित हुए। सबने मिलकर ठोस अपशिष्ट को नदी से बाहर निकालने के साथ ही तट की भी सफाई की। नदी के प्रवाह में पीछे से आ रहे ठोस अपशिष्ट को रोकने के लिए छोटे तटबंध बनाए हैं।

 

संतों की प्रेरणा से तीर्थयात्रियों ने भी प्रसन्नतापूर्वक अभियान में सहभागिता की। अभियान के बाद संत और स्थानीय जनों ने मंदाकिनी की निरन्तर सेवा का संकल्प लिया। आचार्य रामचन्द्र दास महाराज ने बताया कि स्थानीय निवासियों के साथ चित्रकूट आने वाले भक्तों को भी जागरुक किया जाएगा। उन्होंने बताया जाएगा कि मंदाकिनी को स्वच्छ करने के लिए क्या कदम उठाए। साथ ही मां मंदाकिनी में स्नान-ध्यान के लिए आते वक्त पॉलिथीन आदि प्रदूषणकारी तत्वों को नहीं लाने की अपील की जाएगी।

 

 

आचार्य रामचन्द्र दास महाराज कहते हैं कि चित्रकूट संतों को पालने वाली मां है तो मंदाकिनी चित्रकूट को पालने वाली मां है। चित्रकूट को पालने वाली मां के बचाना, स्वच्छ और निर्मल रखना रामानन्द मिशन का प्रमुख संकल्प है। उन्होंने मंदाकिनी नदी के पौराणिक महत्व की चर्चा करते हुए रामचरित मानस का उद्धरण भी सुनाया।

रामकथा मंदाकिनी चित्रकूट चित चारु।
तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहारु॥

 

भावार्थ- तुलसीदास कहते हैं कि रामकथा मंदाकिनी नदी है, सुंदर (निर्मल) चित्त चित्रकूट है, और सुंदर स्नेह ही वन है, जिसमें सीताराम विहार करते हैं।

 

मंदाकिनी सफाई अभियान में जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिशिर पाण्डेय के नेतृत्व में शिक्षकों तथा कर्मचारियों ने भी सहभागिता की। प्रो पाण्डेय ने कहा कि पूज्य जगद्गुरु की इच्छा हमारे लिए ईश्वरीय प्रेरणा की तरह है।