चार साल पहले हिसार में हवा की दशा बिगड़ी तो वन विभाग के एक लाख पौधे लगवा दिए। अब चार साल बाद बीस गांवों में फैले एक लाख पेड़ों का ये सघन जंगल आक्सीजन फैक्ट्री बन चुका है। 700 एकड़ में जमीन अतिक्रमण मुक्त कराकर ऑक्सीजन की फैक्ट्री बनाने में बड़ी भूमिका निभाई हिसार के तत्कालीन जिला वन अधिकारी सुनील कुमार ने।
शुरुआत कैसे हुई?
भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी सुनील कुमार उन दिनों हिसार के डीएफओ थे। अक्टूबर 2019 के महीने का वाकया है। हिसार में हवा की गुणवत्ता का स्तर बहुत गिर गया था। ये दिल्ली से भी खराब श्रेणी में पहुंच गया था। पराली का जलना, हवा में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि, सर्दियों में हवा की गति में ठहराव आदि इसके कारण थे।
बतौर जिला वन अधिकारी सुनील कुमार हवा के स्तर में गिरावट को लेकर चिंतित थे। हालात गवाही दे रहे थे कि हर साल सर्दियों में हवा का यही हाल रहने वाला है।
समस्या का समाधान मिला
बड़े पैमाने पर हरियाली ही इस समस्या का समाधान थी। सुनील कुमार ने इलाके में हरियाली बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। हरियाली के लिए बड़े पैमाने पर पौधारोपण की आवश्यकता थी। इसके लिए वन विभाग की जमीन की खोजबीन शुरू हुई। जमीनी पड़ताल में एक आशाजनक जानकारी सामने आयी। पता चला कि हिसार डिस्ट्रीब्यूटरी के आसपास सिंचाई विभाग की जमीन है और इसका प्रबंधन वन विभाग के ही जिम्मे है। यहां बड़ी संख्या में पेड़ लगाए जा सकते हैं। लेकिन कई गांवों में स्थित इस जमीन पर अतिक्रमण है।
700 एकड़ पर था कब्जा
एक उम्मीद जगी थी, लेकिन बड़ी समस्या जमीन पर अतिक्रमण थी। वन विभाग ने राजस्व विभाग से विभिन्न गांवों के शजरा (गांव का विस्तृत नक्शा), मुसावी (मैपिंग शीट) और सिंचाई विभाग से वास्तविक जमीन के के बारे में जानकारी जुटाई। इस जानकारी के आधार पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के इस्तेमाल से जमीन की सीमा निर्धारित कर दी गई। अब जमीन से अतिक्रमण हटाना बड़ी चुनौती थी।
सबका मिला सहयोग
इससे पहले सुनील कुमार ने उच्च अधिकारियों से इस प्रोजेक्ट को लेकर इजाजत मांगी। तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) घनश्याम शुक्ला इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत पॉजिटिव थे। उनका पूरा सहयोग था। राज्य सरकार ने भी इसमें रुचि दिखाई। अब सुनील कुमार का काफी काम आसान हो चुका था। अब सुनील कुमार जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के मिशन में लग गए।
2007 में तत्कालीन हिसार उपायुक्त को अतिक्रमण हटाने के लिए पत्र लिखा गया था। लेकिन इस पर आगे कोई काम नहीं हो सका। यानी इस जमीन से अतिक्रमण हटाने के पहले भी प्रयास हुए थे। लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला था।
सेहत को नुकसान पर मान गए किसान
अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान स्थानीय नेताओं ने कई अड़ंगे खड़े किए। वन विभाग के अफसरों और जमीन पर काम करने वाले कर्मचारियों को डराने और धमकाने के भी प्रयास हुए। लेकिन टीम सब नजरअंदाज कर काम में जुटी रही। ग्रामीणों से बातचीत की गई। उन्हें प्रोजेक्ट की अहमियत के बारे में बताया गया। बातचीत के नतीजे शानदार रहे। शायद पहली बार ऐसा हुआ होगा कि जब बिना किसी बल प्रयोग के करीब 700 एकड़ जमीन खाली करने को किसान तैयार हो गए।
दो महीने में लगाए एक लाख पौधे
अब बहुत तेजी से पौधारोपण की तैयारी होने लगी। 700 एकड़ जमीन में करीब एक लाख पौधे लगने थे। इतने पेड़ों के लिए गड्ढों की खुदाई ट्रैक्टर पर लगी ऑगर मशीन की मदद से की गई। मुख्य नर्सरी से अतिक्रमण क्षेत्र तक का रास्ता बहुत लंबा था। वन विभाग को आस-पास के जिलों की नर्सरी से व्यापक सहयोग मिला। सब इस प्रोजेक्ट के संभावित नतीजों को लेकर बहुत उत्साहित थे। ऐसे में मानव संसाधन की भी समस्या थी। लेकिन मैदानी अमले ने उत्साह के साथ इस समस्या पर काबू पाया।
जून और जुलाई 2020 में हांसी क्षेत्र में, जबकि अगस्त और सितंबर 2020 में हिसार और आदमपुर क्षेत्र में पौधे लगाए गए। मुख्य तौर पर नीम, जामुन, इमली, आंवला, कॉर्डिया मिक्सा, बेलपत्र, बरगद, पीपल, अर्जुन, शहतूत, आम आदि के पेड़ लगाए गए।
हिसार में ऑक्सीजन फैक्ट्री
पौधारोपण तो हो गया, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर पौधों का जीवित रहना भी बहुत जरूरी था। इसके लिए देखभाल की जरूरत थी। लेकिन सुनील कुमार ने इसका भी रास्ता निकाला। उन्होंने पौधों के बड़े होने तक किसानों को इनके बीच छोटी अवधि की फसल (कृषि वानिकी प्रणाली) उगाने का मौका दिया। लेकिन किसानों को ये समझाया गया कि उन्हें खेती करने का मौका तभी मिलेगा जब एक भी पौधे को नुकसान नहीं होगा। किसान सहर्ष तैयार थे। इसके दो फायदे हुए। खेती की वजह से पौधों की देखभाल हो गई और किसानों को दो साल तक इस जमीन पर खेती करने का मौका मिल गया। इससे उनका आर्थिक लाभ हुआ।
आज एक लाख लहलहाते पेड़ इस इलाके की ऑक्सीजन फैक्ट्री है। सर्दियां शुरू होते ही आज हवा का खराब स्तर एक बड़ी चुनौती बन चुका है। इस प्रयोग ने ये साबित कर दिया कि ऐसा अभियान अगर हर जिले, हर राज्य में चले तो हवा की गुणवत्ता में सुधार संभव है।