नशे के दलदल से हजारों को बचा रहा एक IPS अफसर का मिशन संकल्प
स्वाति सिंह: किसी शहर की पहचान उसकी इमारतों से नहीं, वहां के माहौल से होती है। अगर गलियों में अंधेरा हो, सड़कों पर डर पसरा हो और युवा नशे के दलदल में धंसते जा रहे हों, तो कोई भी कानून-व्यवस्था कितनी भी मजबूत क्यों न हो, समाज खोखला हो जाता है। राजस्थान के जोधपुर […]
स्वाति सिंह:
किसी शहर की पहचान उसकी इमारतों से नहीं, वहां के माहौल से होती है। अगर गलियों में अंधेरा हो, सड़कों पर डर पसरा हो और युवा नशे के दलदल में धंसते जा रहे हों, तो कोई भी कानून-व्यवस्था कितनी भी मजबूत क्यों न हो, समाज खोखला हो जाता है। राजस्थान के जोधपुर में कुछ सालों से यही तस्वीर थी। नशे के सौदागर खुलेआम युवाओं की जिंदगी बेच रहे थे, पुलिस कार्रवाई करती थी, लेकिन कोई ठोस बदलाव नहीं दिख रहा था। जब कोई अफसर अपने कर्तव्य को सेवा और मिशन की तरह देखता है, तो नतीजे इतिहास रचते हैं।
जोधपुर में एक ऐसा ही इतिहास लिखा जा रहा है—एक आईपीएस अफसर के बुलंद इरादों और नशे के खिलाफ छेड़े गए महासंग्राम का इतिहास। वीर लड़ाकों की धरती पर नशे के खिलाफ संग्राम छेड़ने वाले अफसर का नाम है राजर्षि राज वर्मा। इस अफसर ने ठान लिया कि इस जहर को जोधपुर की गलियों से नशे को मिटाकर ही दम लेंगे।

राजर्षि राज वर्मा 2017 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इस वक्त डीसीपी (पश्चिम) जोधपुर के पद पर तैनात हैं।
राजर्षि की सोच ने परंपरागत पुलिसिंग से अलग हटकर नशे के खिलाफ एक जंग छेड़ दी। उन्होंने इसे “मिशन संकल्प” नाम दिया। ये सिर्फ अपराधियों पर कार्रवाई भर नहीं है, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है। इस आंदोलन में पुलिस, प्रशासन, समाज और युवाओं को एकजुट किया गया।
शुरुआत: जब पुलिसिंग मिशन बनी
राजर्षि राज वर्मा की यह लड़ाई उनकी वर्दी तक सीमित नहीं थी। यह उनकी सोच, उनकी जिद और उनके भीतर बैठे उस जुनून का नतीजा थी, जिसने उन्हें सिर्फ कानून लागू करने वाला अफसर नहीं, बल्कि समाज का एक जिम्मेदार प्रहरी बना दिया। 1 दिसंबर 2023 को उन्होंने “मिशन संकल्प” की शुरुआत की, जिसके तहत नशे के सौदागरों को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया। इसके तहत तीन स्तरों पर काम किया गया—
नशे की आपूर्ति पर वार
जोधपुर में नशे का नेटवर्क सिर्फ बड़े तस्करों तक सीमित नहीं था। इसे छोटे सप्लायर्स चला रहे थे, जो पान की दुकानों, किराना स्टोर्स और अन्य छोटे व्यापारियों के जरिए जहर बेच रहे थे। राजर्षि ने सबसे पहले इन्हें टारगेट किया। छोटे-छोटे ड्रग डीलरों की पहचान कर उनकी लिस्ट बनाई गई और उन पर सीधा हमला बोला दिया। महज़ दो महीनों में ₹2 करोड़ से ज्यादा की नशीली सामग्री जब्त कर ली गई और 50 से ज्यादा केस दर्ज हुए। कई गिरोहों के सरगनाओं की संपत्तियों को एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त कर लिया गया ताकि वे दोबारा इस धंधे में लौट ही न सकें।
समाज को जागरूक करने की पहल
नशे के खिलाफ लड़ाई पुलिस की नहीं, पूरे समाज की थी। इसलिए, इसे एक जनांदोलन में बदला गया। स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाए गए, नुक्कड़ नाटक, सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।

सोशल मीडिया पर #SayNoToDrugs ट्रेंड कराया गया और लोकप्रिय हस्तियों जैसे शैलेश लोढा (जिनका जोधपुर से संबंध है) के साथ मिलकर इंफोर्मेटिवे वीडियो बनाए गए। परिवारों को समझाया गया कि नशे के शिकार लोग अपराधी नहीं, पीड़ित हैं। उन्हें सजा नहीं, इलाज की जरूरत है।
पुलिस की आधुनिक रणनीति
ड्रोन, डॉग स्क्वाड और सीक्रेट एजेंट्स की मदद से हर छोटे-बड़े सप्लायर पर निगरानी रखी गई। गुप्त सूचना देने के लिए व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर जारी की गई, जिसमें लोगों ने अपनी पहचान उजागर किए बिना ड्रग माफियाओं की जानकारी दी। हाल ही में लॉनी इलाके में एक बड़े ड्रग तस्कर की ₹4.5 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली गई, जिससे पूरे नेटवर्क में खलबली मच गई। सप्लायर्स के वाहनों को जब्त किया गया ताकि ड्रग सप्लाई की कड़ी तोड़ी जा सके।
राजर्षि ने हर चुनौती को एक मौके में बदला। उनका मानना है कि अगर समाज और प्रशासन मिलकर काम करें, तो नशे के कारोबार को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। राजर्षि राज वर्मा बताते हैं कि यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, व्यक्तिगत संकल्प था। उन्होंने देखा था कि कैसे नशे की लत परिवारों को तोड़ देती है, बच्चों को बेसहारा कर देती है, और कई बार आत्महत्याओं का कारण भी बनती है। लेकिन यह लड़ाई आसान नहीं थी।

अब तक के आंकड़े बताते हैं कि जोधपुर में नशे की गिरफ्त में आने वाले युवाओं की संख्या में कमी आई है। पुलिस कार्रवाई के डर से डीलर्स और तस्करों की गतिविधियां कम हुई हैं। लेकिन असली जीत तब होगी, जब यह बदलाव स्थायी होगा। इसके लिए जरूरी है कि स्कूल-कॉलेजों में लगातार जागरूकता अभियान चलाए जाएं। नशा छोड़ चुके लोगों को रोजगार दिया जाए, ताकि वे दोबारा इस दलदल में न जाएं। समाज भी पुलिस का साथ दे और नशे के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़े।
“मिशन संकल्प” सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, एक क्रांति है, जो हर शहर को नशामुक्त बनाने की प्रेरणा दे सकती है। अगर हर जगह ऐसे ही जज़्बे वाले अफसर हों, तो वह दिन दूर नहीं, जब भारत सच में नशामुक्त हो जाएगा।
राजर्षि राज वर्मा ने यह साबित कर दिया है कि एक सच्चे पुलिस अफसर की पहचान उसकी वर्दी से नहीं, उसके कर्मों से होती है। उन्होंने कानून को सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे ज़मीन पर उतारा, समाज को बदला, और हजारों युवाओं की जिंदगी बचाने का संकल्प लिया।

(स्वाति सिंह प्रतिभाशाली मीडिया प्रोफेशनल हैं। जबरदस्त राइटिंग स्किल के साथ शॉर्ट्स वीडियो स्टोरीज बनाने में भी माहिर हैं। एंकरिंग और ऑन-ग्राउंड रिपोर्टिंग के साथ सोशल मीडिया की बेहतरीन समझ है। सक्सेस स्टोरी और पाठकों और दर्शकों के नब्ज वाली स्टोरी लिखना इनकी खासियत हैं।)
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