बच्चों में कैंसर के 10 खतरनाक लक्षण, समय रहते पहचानें और बचाए ज़िंदगी
कैंसर शब्द सुनते ही हमारे मन में डर और चिंता घर कर जाती है। अक्सर लोग सोचते हैं कि कैंसर केवल बड़े लोगों की बीमारी है, लेकिन यह सच नहीं है। छोटे बच्चे भी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। अच्छी बात यह है कि बच्चों में होने वाले कैंसर का यदि […]
कैंसर शब्द सुनते ही हमारे मन में डर और चिंता घर कर जाती है। अक्सर लोग सोचते हैं कि कैंसर केवल बड़े लोगों की बीमारी है, लेकिन यह सच नहीं है। छोटे बच्चे भी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। अच्छी बात यह है कि बच्चों में होने वाले कैंसर का यदि समय रहते पता चल जाए और सही इलाज शुरू हो, तो यह पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
यही कारण है कि विशेषज्ञ बार-बार बचपन के कैंसर के शुरुआती संकेतों को पहचानने पर ज़ोर देते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और चाइल्ड पीजीआई, नोएडा द्वारा जारी यह चेतावनी सूची हर माता-पिता और अभिभावक के लिए बहुत उपयोगी है।
कैंसर के 10 चेतावनी संकेत
1. लंबे समय तक बुखार रहना
यदि बच्चा बार-बार या लगातार बुखार से परेशान रहता है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें।
2. चेहरे या शरीर का पीला पड़ना
खून की कमी या अन्य कारणों से बच्चा असामान्य रूप से पीला दिखने लगे तो यह गंभीर संकेत हो सकता है।
3. बार-बार चोट के निशान या खून आना
बिना वजह चोट लगना, शरीर पर नीले निशान या खून बहना कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
4. पेट में गाँठ महसूस होना
यदि बच्चे के पेट में सूजन या कोई गाँठ बने तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
5. हड्डियों में दर्द या सूजन
लगातार हड्डियों या जोड़ों में दर्द रहना सामान्य नहीं है।
6. सुबह-सुबह सिरदर्द और उलटी
रोज़ाना सुबह उठते ही सिरदर्द या उलटी होना मस्तिष्क से जुड़ा गंभीर लक्षण हो सकता है।
7. आँख में सफेद धब्बा या भेंगापन
बच्चे की आँख में सफेद चमक दिखे या अचानक आँखें टेढ़ी होने लगें तो इसे नज़रअंदाज़ न करें।
8. बच्चे का वजन घटने लगना
सामान्य खान-पान के बावजूद वजन कम होना कैंसर की ओर इशारा कर सकता है।
9. शरीर के किसी हिस्से में गाँठ
गर्दन, कांख, या शरीर के किसी भी हिस्से में गाँठ महसूस होना खतरे का संकेत है।
10. लगातार थकान और हड्डियों में दर्द
बच्चा बिना मेहनत के भी थका-थका लगे या हड्डियों में लगातार दर्द रहे तो सतर्क हो जाएं।

समय पर पहचान ही सबसे बड़ी जीत

चाइल्ड पीजीआई, नोएडा पीडियाट्रिक्स हीमेटोलॉजी-ऑन्कोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीता राधाकृष्णन बताती हैं कि यदि बचपन का कैंसर शुरुआती चरण में पकड़ में आ जाए तो उसका इलाज पूरी तरह संभव है। लेकिन अक्सर अभिभावक शुरुआती लक्षणों को सामान्य बीमारी मानकर अनदेखा कर देते हैं, जिससे इलाज में देर हो जाती है। हर माता-पिता को चाहिए कि वे इन चेतावनी संकेतों के प्रति जागरूक रहें और यदि कोई लक्षण लंबे समय तक दिखाई दे तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ या कैंसर विशेषज्ञ से संपर्क करें।
बच्चों में कैंसर के इलाज में जितनी जल्दी हस्तक्षेप किया जाए, उतनी ही अधिक संभावना होती है कि इलाज सफल हो। विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता और समय पर उपचार बचपन के कैंसर के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार हैं।
अंत में, यह जरूरी है कि हर माता-पिता बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें और किसी भी अनजाने लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें। शुरुआती पहचान से इलाज आसान हो सकता है। यही समय है, जब जागरूकता और सतर्कता बचपन की जान बचा सकती है। स्वास्थ्य जांच और विशेषज्ञ की सलाह से डर को मात दी जा सकती है।
- चाइल्ड पीजीआई नोएडा
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