मणिपाल हॉस्पिटल द्वारका में अनोखा ऑपरेशन, 8 घंटे सर्जरी कर बचाई मरीज की जान

मणिपाल हॉस्पिटल द्वारका, दिल्ली के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ मामले में 33 वर्ष की महिला की जान बचाई। महिला की हालत काफ़ी गंभीर थी। उनके दिमाग का एक हिस्सा सिर से होते हुए नाक और साइनस में सरक आया था। उनके क्रेनियल बेस के घिसने के कारण दिमाग के टिश्यू नाक और ओरल कैविटी में […]

मणिपाल हॉस्पिटल द्वारका, दिल्ली के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ मामले में 33 वर्ष की महिला की जान बचाई। महिला की हालत काफ़ी गंभीर थी। उनके दिमाग का एक हिस्सा सिर से होते हुए नाक और साइनस में सरक आया था। उनके क्रेनियल बेस के घिसने के कारण दिमाग के टिश्यू नाक और ओरल कैविटी में पहुंच गए थे। मरीज को लगातार नाक बंद रहने और नाक बहने की शिकायत के साथ हॉस्पिटल लाया गया था। यह समस्या उन्हें कई महीनों से थी।

महिला की नाक बंद रहने का कारण क्रेनियल बेस का धीरे-धीरे घिस जाना था। यह दिमाग और नैसल कैविटी को बांटने वाली बहुत पतली हड्डी होती है। इसके कारण दिमाग का एक हिस्सा नीचे सरककर नाक और मुंह के अंदर तक पहुंच गया था। मरीज की हालत को देखते हुए न्यूरोसर्जरी और ईएनटी टीम ने आठ घंटे तक सर्जरी की। सर्जरी के लिए आधुनिक एंडोस्कोपिक और ट्रांसक्रेनियल तकनीकों का उपयोग किया गया, ताकि दिमाग को फिर से उसकी जगह स्थापित करके क्रेनियल बेस का निर्माण किया जा सके।

महिला का यदि इस समय इलाज नहीं किया जाता, तो जानलेवा संक्रमण, मेनिंजाइटिस, स्थायी न्यूरोलॉजिकल क्षति और गंभीर रक्तस्राव होने का खतरा था।

डॉ. आशीष वशिष्ठ, एचओडी एवं कंसल्टेंट – ईएनटी (ऑटोराईनोलैरिंजोलॉजी, हेड एंड नेक एंड क्रेनियल बेस सर्जरी, ईयर, नोज़ एंड थ्रोट) ने कहा, ‘‘जब मरीज को हमारे पास लाया गया, तब उनकी नाक लगातार बंद थी। हमारे ईएनटी विभाग में प्रारंभिक एंडोस्कोपिक परीक्षण से किसी गंभीर और असामान्य समस्या के होने का संदेह हुआ। इसके बाद टारगेटेड सीटी एवं एमआरआई स्कैन किए गए, जिसमें पता चला कि मरीज के दिमाग का एक हिस्सा स्कल बेस से नीचे सरककर उनकी नैसल कैविटी में घुस गया था।”

डॉ. आशीष वशिष्ठ के मुताबिक इस मामले ने दिखा दिया कि संपूर्ण निदान प्रक्रिया और सही समय पर योग्य विशेषज्ञों से परामर्श लेना कितना अधिक महत्वपूर्ण है। यह मामला इसलिए भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि इस तरह की नाज़ुक और उच्च जोखिम वाली क्रेनियल बेस रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी करने के लिए बहुत अधिक तकनीकी सटीकता की जरूरत होती है। इस इलाज की सफलता से मल्टीडिसिप्लिनरी और डायग्नोस्टिक-फर्स्ट दृष्टिकोण की शक्ति प्रदर्शित होती है।

डॉ. अनुराग सक्सेना, क्लस्टर हेड-दिल्ली एनसीआर, न्यूरोसर्जरी ने कहा, ‘‘यह एक बहुत ही दुर्लभ मामला था। तकनीकी रूप से अत्यधिक चुनौतीपूर्ण था। मरीज को जानलेवा स्ट्रोक पड़ने का बहुत ज्यादा जोखिम था। दिमाग के टिश्यू के साथ दिमाग की रक्तवाहिनियां भी नीचे सरक आई थीं। इन रक्तवाहिनियों को छोटी सी चोट भी जानलेवा स्थिति उत्पन्न कर सकती थी। दिमाग के लगभग आधे फ्रंटल और बेसल हिस्से क्रेनियल बेस से सरककर नीचे की ओर लटके हुए थे, जिसकी वजह से सर्जरी बहुत अधिक जटिल हो गई थी। एंडोस्कोपिक और ट्रांसक्रेनियल विधियों में सतर्कता से तालमेल बनाकर हमने दिमाग को फिर से उसकी जगह स्थापित कर दिया। फिर क्रेनियल बेस का पुनर्निर्माण किया, और मरीज का स्वास्थ्य सुनिश्चित किया। मरीज अब तेजी से स्वस्थ हो रही हैं।’’