IRTS अधिकारी संजय कुमार ने रोपे 20,000 से ज्यादा पौधे, गिनती नहीं, बचाव पर ज़ोर
पेड़ लगाना आसान होता है, लेकिन उसे ज़िंदा रखना, बढ़ाना और फलने-फूलने देना—यह काम प्रेरणा और लगन दोनों मांगता है। भारतीय रेलवे के IRTS अफसर संजय कुमार इसी नज़रिए को जीते हैं। उनकी पर्यावरण हितैषी सोच का मूल है, “अगर पेड़ जिए न तो पौधों की संख्या की कोई मायने नहीं।” इसी सिद्धांत पर चलते […]
पेड़ लगाना आसान होता है, लेकिन उसे ज़िंदा रखना, बढ़ाना और फलने-फूलने देना—यह काम प्रेरणा और लगन दोनों मांगता है। भारतीय रेलवे के IRTS अफसर संजय कुमार इसी नज़रिए को जीते हैं। उनकी पर्यावरण हितैषी सोच का मूल है, “अगर पेड़ जिए न तो पौधों की संख्या की कोई मायने नहीं।” इसी सिद्धांत पर चलते हुए उन्होंने वृक्षारोपण का एक टिकाऊ मॉडल तैयार किया है। इसकी शुरुआत भारतीय रेलवे के फिरोजाबाद सेक्सन में उनकी तैनाती के दौरान हुई।

टुंडला में लगाया फलदार वृक्षों का जंगल
फिरोजाबाद सेक्शन के टुंडला में तैनाती के दौरान संजय कुमार ने रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर फलदार जंगल उगा दिया। इसे स्थानीय लोग ‘Urban Food Forest’ बुलाते हैं। संजय ने यहां आम, जामुन और बेल जैसे फलदार पेड़ लगाए। उनकी इस पहल से इलाके को हरियाली मिली और स्थानीय लोगों का फलदार पौधे मिले। इस सफल मॉडल ने संजय को प्रेरणा दी कि रेलवे की खाली जगहों का सही इस्तेमाल करके पर्यावरण के हित में काम किया जा सकता है।
झांसी डिविजन में हर स्टेशन पर पांच पौधे
टुंडला के बाद संजय कुमार की झांसी मंडल में तैनाती हुई। यहां तैनाती के दौरान झांसी मंडल के लगभग 150 स्टेशनों पर पांच-पांच पौधे लगाने की योजना बनाई गई। इन पौधों की जिम्मेदारी उस स्टेशन के स्टेशन मास्टर और स्टाफ को सौंपी गई। इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि कोई पौधा सूखता है तो उसकी तुरंत जगह नया पौधा लगा दिया जाता है। इस अभियान में पौधों का 100 प्रतिशत सर्वाइवल सुनिश्चित किया जाता है। संजय कुमार मानते हैं कि पौधे तभी जीवित रहेंगे जब उनका दायित्व पौधे लगने की जगह पर स्थानीय व्यक्तियों की हो।

संजय कुमार 2016 बैच के IRTS अधिकारी हैं। वर्तमान में झांसी डिविजन में सीनियर डिविजनल ऑपरेशन मैनेजर (कोऑर्डिनेशन) के पद पर तैनात हैं। वे मानते हैं, “पेड़ लगाना पर्याप्त नहीं है, असली काम है उन्हें जीवित रखना।”
20,000 से अधिक पौधे लगाए, लक्ष्य 1 लाख
अब तक रेलवे की खाली पड़ी जमीनों पर करीब 20,000 पौधे लगा चुके हैं। टुंडला में तैनाती के दौरान करीब 15,000 और झांसी रेल मंडल में 5,000 से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। उनका लक्ष्य पांच साल में एक लाख पौधे लगाने का है।
पौधों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता
बारिश के मौसम में संजय कुमार की गाड़ी में पौधे रखे रहते हैं। जहां मौका मिलता है और जगह दिखती है, वहीं सहयोगी कर्मियों के साथ वृक्षारोपण के अभियान को गति देते हैं। वे खुद सुनिश्चित करते हैं कि पौधा सही वक्त पर सही जगह पहुंचे और उसकी देखभाल हो। उनका ये तरीका आम ‘पेड़ लगाने’ के अभियान से अलग है, जहां ज्यादातर मामलों में पौधे लगाने के बाद उनकी देखभाल अधूरी रह जाती है।

निगरानी और अपडेट — पौधों पर पूरी निगाह
वृक्षारोपण के बाद भी संजय कुमार जिन्हें देखभाल की जिम्मेदारी सौंपते हैं, उनसे पौधों की फोटो-वीडियो अपडेट लेते रहते हैं। यह निगरानी मॉडल पौधों के फलने-फूलने में अहम भूमिका निभाता है।
क्लाइमेट चेंज अब रोकने की चीज़ नहीं, तैयारी की चीज़ है। हमारे लगाए हुए पेड़ न सिर्फ छाया देंगे, बल्कि पर्यावरण को भी राहत देंगे। – संजय कुमार, IRTS
सरकारी फंड नहीं, निजी भावना का अभियान
संजय कुमार के इस वृक्षारोपण अभियान में सरकारी फंड से एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ। ये पूरी तरह से सहकर्मियों, मित्रों और बागवानी विभाग की मदद से चलाया जाता है। पौधों की व्यवस्था वन विभाग, बागवानी विभाग और व्यक्तिगत संपर्कों से की जाती है। उनके सहकर्मी रेलवे स्टाफ भी इसे सामाजिक दायित्व समझकर निभाते हैं।
‘गिफ्ट ए ट्री’ — छोटा तोहफा, बड़ा संदेश
संजय कुमार ने ‘गिफ्ट ए ट्री (Gift a Tree)’ नाम से एक पहल भी शुरू की है। इसमें सहकर्मियों, मित्रों, परिचितों को जन्मदिन या खास मौके पर पौधा उपहार के रूप में देने के लिए प्रेरित करते हैं। वे पौधे स्वयं लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी ये पहल व्यक्ति को पेड़ों के साथ भावात्मक तौर पर जोड़ देती है। हर पौधा उसे रोपने वाले लिए एक जीवंत स्मृति बन जाता है
इरादा सच्चा तो बड़ा हरित परिवर्तन संभव
संजय कुमार की वृक्षारोपण पहल सिर्फ पेड़ लगाने का अभियान नहीं, बल्कि पौधों को जीवित रखने की सतत कोशिश है। वे इसे व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी और सिस्टम के साथ जोड़ते हैं। उनकी सोच बताती है कि अगर इरादा सच्चा हो तो सीमित संसाधनों में भी बड़ा हरित परिवर्तन संभव है।
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