संघ बनाएगा 12 लाख ‘पर्यावरण प्रहरी’: धरती बचाने की दिशा में सबसे बड़ी पहल

शास्त्रों में कहा गया है: “माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः” – यह धरती हमारी मां है और हम उसके पुत्र हैं। उसे बचाना हमारा धर्म है। आज जब पूरी दुनिया पर्यावरण संकट से जूझ रही है, तब भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में चुपचाप लेकिन प्रभावी काम कर रहा है। पर्यावरण संरक्षण […]

शास्त्रों में कहा गया है: “माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः” – यह धरती हमारी मां है और हम उसके पुत्र हैं। उसे बचाना हमारा धर्म है।

आज जब पूरी दुनिया पर्यावरण संकट से जूझ रही है, तब भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में चुपचाप लेकिन प्रभावी काम कर रहा है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर संघ बेहद गंभीर है। इसी दिशा में संघ ने एक और बड़ा कदम उठाया है – राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण प्रतियोगिता। इसका लक्ष्य देशभर में 12 लाख ‘पर्यावरण प्रहरी’ तैयार करना है।

यह प्रतियोगिता सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। इसका मकसद है – बच्चों, युवाओं और आम नागरिकों को पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक करना और उन्हें जिम्मेदारी सौंपना।

संघ की गंभीर सोच

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि पर्यावरण की रक्षा सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, समाज की भी है। संघ की शाखाओं में पहले से ही वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता जैसे विषयों पर नियमित कार्य होते हैं। अब यह प्रतियोगिता उसी काम को राष्ट्रीय स्तर पर ले जा रही है।

पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, जो संघ से जुड़ा संगठन है, इस पूरे कार्यक्रम को आयोजित कर रहा है। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि देश के 500 से ज़्यादा ज़िलों में पर्यावरण से जुड़े काम कर रहा है।

प्रतियोगिता की खास बातें

प्रतियोगिता 1 जुलाई से 21 अगस्त 2025 तक चलेगी। ऑनलाइन क्विज के ज़रिए छात्रों की जागरूकता को परखा जाएगा। छात्र अपनी पर्यावरणीय गतिविधियों की सेल्फी अपलोड करेंगे – जैसे पेड़ लगाना, पानी बचाना या कचरा अलग करना। प्रतियोगिता के बाद सभी प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट मिलेगा। 30 अगस्त को रिजल्ट घोषित किए जाएंगे। परीक्षा हिंदी, अंग्रेज़ी व अन्य भाषाओं में दी जा सकती है।

कौन-कौन ले सकता है हिस्सा?

इसमें प्रतियोगिता में अलग-अलग कैटेगरी है। एक श्रेणी में कक्षा 1 से 5 तक के छात्र, दूसरी में कक्षा 6 से 8 तक और तीसरी में कक्षा 9 से 12 तक हिस्सा ले सकते हैं। कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों की अलग श्रेणी बनाई गई है। जबकि आम नागरिक भी इसमें शामिल हो सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी को पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय संयोजक संदीप बालियान ने प्रतियोगिता की जानकारी दी

अब तक की सफलता

यह प्रतियोगिता 2022 में शुरू हुई थी और पहले ही साल 8.46 लाख छात्रों ने इसमें भाग लिया। 2023 में यह संख्या 6.5 लाख रही और 2024 में 7.09 लाख से ज्यादा छात्र इसमें जुड़े। इस बार लक्ष्य है कि यह आंकड़ा 12 लाख पार करे। सबसे दिलचस्प बात यह है कि अब तक 107 से ज़्यादा विदेशी देशों के छात्र भी इस अभियान में हिस्सा ले चुके हैं, जिससे यह पहल एक वैश्विक स्वरूप ले चुकी है।

संस्कृति और पर्यावरण का रिश्ता

हमारे शास्त्रों में पर्यावरण को जीवन का आधार माना गया है। ऋग्वेद में कहा गया है, “वनस्पतेषु वै वैश्वदेवो यज्ञः।” यानी वनस्पतियों में भी देवता का वास है

संघ का प्रयास है कि इस सांस्कृतिक सोच को बच्चों के मन में बसाया जाए। जब बच्चे सीखेंगे कि प्रकृति पूजनीय है, तभी वे उसकी रक्षा करना भी सीखेंगे।

छोटा प्रयास, बड़ा प्रभाव

इस प्रतियोगिता के ज़रिए संघ हर स्कूल, कॉलेज और शहर में पर्यावरण के सिपाही’ खड़े कर रहा है। वे सिर्फ पढ़ेंगे नहीं, कुछ करके दिखाएंगे। पेड़ लगाना, जल बचाना, और प्लास्टिक से दूरी – यही इस मिशन के असली काम हैं।

धरती मां के सच्चे रक्षक

जब समाज, संस्कृति और संगठन मिलकर काम करें, तो बदलाव ज़रूर आता है। आज जब पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन की चिंता में डूबा है, ऐसे समय में संघ की यह पहल भारत को ‘हरित भारत’ की दिशा में ले जाने वाला एक बड़ा कदम है। यह एक ऐसी शुरुआत है, जो आने वाली पीढ़ियों को न सिर्फ पर्यावरण का पाठ पढ़ाएगी, बल्कि उन्हें धरती मां का सच्चा रक्षक भी बनाएगी।